24 घंटे में दो बड़े ट्रेन हादसे: मिर्जापुर में 6 की मौत, बिलासपुर में 11 की

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

देश में रेल सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। सिर्फ 24 घंटे के भीतर दो बड़े ट्रेन हादसे हुए — एक उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में और दूसरा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में। दोनों हादसों में अब तक 17 से ज्यादा यात्रियों की जान जा चुकी है और दर्जनों घायल हैं।

मिर्जापुर में कालका मेल की चपेट में आए यात्री

यूपी के मिर्जापुर जिले के चुनार जंक्शन पर सोमवार सुबह दर्दनाक हादसा हुआ। कुछ यात्री गोमो-प्रयागराज एक्सप्रेस से उतरकर गलत दिशा में रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे। उसी समय प्लेटफॉर्म नंबर 3 से कालका मेल गुज़र रही थी — और देखते ही देखते वो यात्रियों को अपनी चपेट में ले गई।

दृश्य इतना भयानक था कि मौके पर मौजूद लोग सन्न रह गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, “कुछ सेकंड में सब खत्म हो गया।” हादसे में 6 यात्रियों की मौके पर मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हुए। बताया जा रहा है कि मृतक गंगा स्नान करके दक्षिणांचल लौट रहे थे।

सीएम योगी ने जताया शोक, दिए राहत कार्य के आदेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर गहरा शोक जताया है। उन्होंने अधिकारियों को तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं। रेलवे ने हादसे की जांच शुरू कर दी है और यह देखने की कोशिश की जा रही है कि
क्या स्टेशन पर पर्याप्त चेतावनी संकेत मौजूद थे या नहीं।

बिलासपुर में भीषण टक्कर — 11 की मौत, 20 से ज्यादा घायल

इससे पहले रविवार को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जंक्शन पर एक और भीषण हादसा हुआ था। यहाँ एक मेमो ट्रेन ने खड़ी मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि मेमो ट्रेन का अगला हिस्सा मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। अब तक 11 यात्रियों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हैं। रेलवे ने घटना की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की है।

रेलवे पर उठ रहे सवाल — “कहाँ है सेफ्टी सिस्टम?”

दोनों हादसे एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं। हाल ही में रेल मंत्रालय ने ‘कवच सिस्टम’ (Anti-collision Technology) को लागू करने की बात कही थी, लेकिन इन हादसों ने दिखा दिया कि जमीनी हकीकत अब भी दर्दनाक है।

24 घंटे में 17 से ज्यादा लोगों की मौत बताती है कि भारत की पटरियों पर “Speed” तो बढ़ रही है, लेकिन “Safety” अब भी पीछे छूट गई है।
सरकार और रेलवे के लिए ये एक और चेतावनी है — अब सुधार ज़रूरी है।

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